Islamic life kaisi hoti hai
Islamic life ko chand mukhya tatvon se paribhashit kiya ja sakta hai:
Imaan aur Ibadat: Islamic life mein imaan (vishwas) ko mazbooti se nibhaya jata hai aur farz ibadat (jaise namaz, roza, zakat, hajj) ka paband hona bhi zaroori hota hai.
अदालत और इन्साफ : इंसानियत, इन्साफ और अदालत का पालन करना भी इस्लामी जीवन का एक अहम हिसा है। हर इंसान को सम्मान दिया जाता है और हर किसी को उसका हक और अधिकार हिफाजत की जाती है।
अखलाक और नेकी : इस्लामिक जीवन में नेकी, सच्चाई और अच्छे अखलाक को प्रमोट किया जाता है। दुसरों के साथ दयालु और मेहरबान होना भी एक अहम किरदार है।
तवक्कुल और सब्र : इस्लामी जीवन में अल्लाह पर भरोसा रखना, तवक्कुल (भरोसा) और सब्र (सहनशीलता) का आधार बनाया जाता है। हर मुश्किल और परिस्थिति में अल्लाह पर भरोसा रखा जाता है और सब्र दिखाया जाता है।
ज़िक्र और धिक्रुल्लाह : अल्लाह की याद में ज़िन्दगी गुज़ारना, ज़िक्रुल्लाह और इबादत में मसरूफ़ रहना भी इस्लामी जीवन का हिसा है। अल्लाह की रज़ा हासिल करने की कोशिश की जाती है।
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